आपका समर्थन, हमारी शक्ति

गुरुवार, 7 सितंबर 2017

साहित्यकारों के नाम पर होंगे ट्रेनों के नाम

देश के साहित्यकारों को युवा पीढ़ी से जोड़ने और साहित्यकारों को ट्रेन के माध्यम से  देश भर में विस्तार देने हेतु रेलवे मंत्रालय ट्रेनों का नाम मशहूर साहित्यकारों के नाम पर रखने का विचार कर रहा है। इसमें न सिर्फ लेखक को, बल्कि वह जिस इलाके का है उसे भी तरजीह दी जाएगी। यदि ऐसा हुआ तो, पश्चिम बंगाल  जाने वाली ट्रेन का नाम  महाश्वेता देवी तो  बिहार जाने वाली ट्रेन का नाम रामधारी सिंह दिनकर जैसी मशहूर साहित्यिक हस्तियों के नाम पर होगा।
 रेलवे देश भर की सैर कराती है,  ऐेसे में ट्रेन अलग-अलग संस्कृतियों का शोकेस हो सकती हैं। ऐसे में रेलवे अलग-अलग इलाकों और अलग-अलग भाषाओं से आने वाले लेखकों के नाम पर ट्रेनों का नाम करने पर विचार कर रहा है। इसके तहत साहित्य एकेडमी अवॉर्ड जीतने वालों के नाम छांटने के साथ ही इस काम की शुरुआत  की जा चुकी  है। इससे विभिन्न संस्कृतियों को लोगों को जानने के लिए मिलेगा।
गौरतलब है कि इससे पहले भी साहित्यिक कृतियों और साहित्यिक व्यक्तित्व के नाम पर कुछेक ट्रेनों के नाम रखे जा चुके हैं। कैफी आजमी के गृह नगर आजमगढ़ जाने वाली ट्रेन का नाम "कैफियत" एक्सप्रेस है तो मुंशी प्रेमचंद की मशहूर कृति "गोदान" के नाम पर गोदान एक्सप्रेस संचालित हो रही है।

मंगलवार, 5 सितंबर 2017

शिक्षक दिवस : देश-समाज के लिए प्रकाश स्तंभ की भांति हैं शिक्षक

शिक्षक दिवस पर सभी को बधाईयाँ। जिस विभूति के नाम पर यह दिवस मनाया जाता है, उन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने शिक्षा को एक मिशन माना था और उनके मत में शिक्षक होने का हकदार वही है, जो लोगों से अधिक बुद्धिमान व विनम्र हो। अच्छे अध्यापन के साथ-साथ शिक्षक का अपने छात्रों से व्यवहार व स्नेह उसे योग्य शिक्षक बनाता हैै। मात्र शिक्षक होने से कोई योग्य नहीं हो जाता बल्कि यह गुण उसे अर्जित करना होता है। उनका मानना था कि शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करे। उनके यह शब्द समाज में शिक्षकों की सही भूमिका को दिखाते हैं- ’’शिक्षक का काम सिर्फ किताबी ज्ञान देना ही नहीं बल्कि सामाजिक परिस्थितियों से छात्र को परिचित कराना भी होता है।’’ ..... आज जरूरत है उस भावना को आत्मसात करने की, तभी शिक्षक दिवस फलीभूत होगा !! -आकांक्षा यादव @ शब्द-शिखर 

शिक्षक  दिवस पर लेख : गुरु-शिष्य की बदलती परंपरा (आकांक्षा यादव)

शिक्षक  दिवस पर लेख : गुरु-शिष्य की बदलती परंपरा (आकांक्षा यादव)

शिक्षक  दिवस पर लेख : प्रकाश स्तंभ  हैं शिक्षक (आकांक्षा यादव)

शिक्षक  दिवस पर लेख : शिक्षकों की भूमिका व कर्तव्यों पर पुनर्विचार जरूरी  (आकांक्षा यादव)

शिक्षक  दिवस पर लेख :देश-समाज के लिए प्रकाश स्तंभ की भांति हैं शिक्षक (आकांक्षा यादव)

रविवार, 3 सितंबर 2017

इंदिरा गांधी के बाद पहली महिला रक्षामंत्री बनीं निर्मला सीतारमण

देश की रक्षा मंत्री बनीं निर्मला सीतारमण। इंदिरा गांधी के बाद पहली महिला रक्षामंत्री बनीं निर्मला सीतारमण और स्वतंत्र रूप में देश की पहली महिला रक्षा मंत्री। गौरतलब है कि श्रीलंका में 1960 में श्रीमावो भंडारनायको को रक्षा मंत्रालय की कमान सौंप कर इसकी शुरुआत की गई, वहीं 1980 में प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी भी देश की रक्षा मंत्री रह चुकी है। इसके अलावा मौजूदा समय में फ्रांस, इटली, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया समेत 15 देशों में महिला रक्षा मंत्री मौजूद हैं।

जिस देश में महिलाओं की भूमिका को 'गृह' तक सीमित करके देखा जाता है, उनके पहनावे से लेकर बाहर निकलने तक पर बंदिशें थोपी जाती हैं ताकि वे सुरक्षित रहीं......ऐसे में वहाँ एक महिला देश की रक्षा की कमान संभालेगी, विदेश मंत्री के रूप में नारी-शक्ति का नेतृत्व पहले से ही है, देखकर अच्छा लगता है।  काश कि यह सोच समाज में भी निचले स्तर तक व्याप्त हो !!