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रविवार, 30 मार्च 2014

नव संवत्सर 2071 का आगमन

भारतीय नव वर्ष 'नव संवत्सर' का आगमन। यह नव वर्ष अंग्रेजी कैलेण्डर पर आधारित नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति के अनुरूप है।  इस नव वर्ष की  शुरुआत रात्रि के सन्नाटे में नहीं अपितु सूर्योदय की प्रथम किरणों से होती है। यह विचारणीय है कि जब अंग्रेजी नव वर्ष आरम्भ होता है तो प्रकृति और सारे जीव-जंतु सो रहे होते हैं।  इसके  विपरीत भारतीय नव वर्ष का आरम्भ नव सृजन और उल्लास से होता है। इसके आरम्भ होने से पूर्व ही धीरे-धीरे इसके आगमन का अहसास होने लगता है।  पतझड़ के बाद वृक्षों में नव पल्ल्व, फूलों से गदराये और लहलहाती प्रकृति, फागुन के बहाने रंगों की बहार और आपसी मेलजोल, खेतों में लहलहाती गेँहूँ की बालियाँ और सरसों का चटखपन ..... मानो सब नव वर्ष का स्वागत करने को उत्सुक हों। भारत में नव वर्ष का शुभारम्भ वर्षा का संदेशा देते मेघ, सूर्य और चंद्र की चाल, पौराणिक गाथाओं और इन सबसे ऊपर खेतों में लहलहाती फसलों के पकने के आधार पर किया जाता है। इसे बदलते मौसमों का रंगमंच कहें या परम्पराओं का इन्द्रधनुष या फिर भाषाओं और परिधानों की रंग-बिरंगी माला, भारतीय संस्कृति ने दुनिया भर की विविधताओं को संजो रखा है।

भारतीय संस्कृति में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा वर्ष प्रतिपदा कहलाती है।  इसी दिन से ही नव वर्ष का शुभारम्भ माना जाता है। इसे हिंदू नव संवत्सर या नव संवत या विक्रम सम्वत भी कहते हैं। इस बार  31 मार्च 2014 से विक्रम संवत 2071 का आरम्भ हो रहा है। इस नवसंवत्सर का नाम 'प्लवंग' होगा। भारतीय कालगणना के अनुसार 31 मार्च, 2014 को सृष्टि की 1 अरब 95 करोड़ 58  लाख 85 हजार 115 वीं जयंती मनाई जायेगी। ऐसी मान्यता है कि जगत की सृष्टि की घड़ी (समय) यही है। इस दिन भगवान ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की रचना हुई तथा युगों में प्रथम सत्ययुग का प्रारंभ हुआ।

 ‘चैत्रे मासि जगद् ब्रह्मा ससर्ज प्रथमे अहनि। 
शुक्ल पक्षे समग्रेतु तदा सूर्योदये सति।।‘

अर्थात ब्रह्मा पुराण के अनुसार ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना चैत्र मास के प्रथम दिन, प्रथम सूर्योदय होने पर की। इस तथ्य की पुष्टि सुप्रसिद्ध भास्कराचार्य रचित ग्रंथ ‘सिद्धांत शिरोमणि‘ से भी होती है, जिसके श्लोक में उल्लेख है कि लंका नगर में सूर्योदय के क्षण के साथ ही, चैत्र मास, शुक्ल पक्ष के प्रथम दिवस से मास, वर्ष तथा युग आरंभ हुए। अतः नव वर्ष का प्रारंभ इसी दिन से होता है, और इस समय से ही नए विक्रम संवत्सर का भी आरंभ होता है, जब सूर्य भूमध्य रेखा को पार कर उत्तरायण होते हैं। इस समय से ऋतु परिवर्तन होनी शुरू हो जाती है। वातावरण समशीतोष्ण होने लगता है। ठंडक के कारण जो जड़-चेतन सभी सुप्तावस्था में पड़े होते हैं, वे सब जाग उठते हैं, गतिमान हो जाते हैं। पत्तियों, पुष्पों को नई ऊर्जा मिलती है। समस्त पेड़-पौधे, पल्लव रंग-विरंगे फूलों के साथ खिल उठते हैं। ऋतुओं के एक पूरे चक्र को संवत्सर कहते हैं। 

संवत्सर, सृष्टि के प्रारंभ होने के दिवस के अतिरिक्त, अन्य पावन तिथियों, गौरवपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक घटनाओं के साथ भी जुड़ा है। रामचन्द्र का राज्यारोहण, धर्मराज युधिष्ठिर का जन्म, आर्य समाज की स्थापना तथा शक्ति की देवी माँ दुर्गा की आराधना का पर्व 'चैत्र नवरात्र' का शुभारम्भ भी इसे दिन से जुड़ा हुआ है।  इसी दिन से मां दुर्गा की उपासना, आराधना, पूजा भी प्रारंभ होती है। यह वह दिन है, जब भगवान राम ने रावण को संहार कर, जन-जन की दैहिक-दैविक-भौतिक, सभी प्रकार के तापों से मुक्त कर, आदर्श रामराज्य की स्थापना की। सम्राट विक्रमादित्य ने अपने अभूतपूर्व पराक्रम द्वारा शकों को पराजित कर, उन्हें भगाया, और इस दिन उनका गौरवशाली राज्याभिषेक किया गया। 

भारतीय इतिहास में विख्यात सम्राट विक्रमादित्य ने विक्रम संवत का प्रवर्तन किया था।  उनकी न्यायप्रियता के किस्से भारतीय परिवेश का हिस्सा बन चुके हैं। विक्रमादित्य का राज्य उत्तर में तक्षशिला जिसे वर्तमान में पेशावर (पाकिस्तान) के नामसे जाना जाता हैं, से लेकर नर्मदा नदी के तट तक था। विक्रम संवत को सम्राट विक्रमादित्य ने शकों को पराजित करने की खुशी में 57 ईसा पूर्व शुरू किया था। राजा विक्रमादित्य ने यह सफलता मालवा के निवासियों के साथ मिलकर गठित जनसमूह और सेना के बल पर हासिल की थी। विक्रमादित्य की इस विजय के बाद जब राज्यारोहण हुआ तब उन्होंने प्रजा के तमाम ऋणों को माफ करने का ऐलान किया तथा नए भारतीय कैलेंडर को जारी किया, जिसे विक्रम संवत नाम दिया गया। इतिहास के मुताबिक, अवंती (वर्तमान उज्जैन) के राजा विक्रमादित्य ने इसी तिथि से कालगणना के लिए ‘विक्रम संवत्’ का प्रारंभ किया था, जो आज भी हिंदू कालगणना के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि विक्रमसंवत्, विक्रमादित्य प्रथम के नाम पर प्रारंभ होता है जिसके राज्य में न तो कोई चोर था और न ही कोई अपराधी या भिखारी था। ज्योतिष की मानें तो प्रत्येक संवत् का एक विशेष नाम होता है। विभिन्न ग्रह इस संवत् के राजा, मंत्री और स्वामी होते हैं। इन ग्रहों का असर वर्ष भर दिखाई देता है। सिर्फ यही नहीं समाज को श्रेष्ठ (आर्य) मार्ग पर ले जाने के लिए स्वामी दयानंद सरस्वती ने भी इसी दिन को ‘आर्य समाज’ स्थापना दिवस के रूप में चुना था। 

भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ लगभग सभी जगह नववर्ष मार्च या अप्रैल माह अर्थात चैत्र या बैसाख के महीनों में मनाये जाते हैं। असम में नववर्ष बीहू के रुप में मनाया जाता है, केरल में पूरम विशु के रुप में, तमिलनाडु में पुत्थंाडु के रुप में, आन्ध्र प्रदेश में उगादी के रुप में, महाराष्ट्र में गुड़ीपड़वा के रुप में तो बांग्ला नववर्ष का शुभारंभ वैशाख की प्रथम तिथि से होता है। पंजाब में नव वर्ष बैशाखी नाम से 13 अप्रैल को मनाई जाती है। सिख नानकशाही कैलेण्डर के अनुसार 14 मार्च होला मोहल्ला नया साल होता है। इसी तिथि के आसपास बंगाली तथा तमिल नव वर्ष भी आता है। तेलगू नव वर्ष मार्च-अप्रैल के बीच आता है। आंध्र प्रदेश में इसे उगादी (युगादि=युग$आदि का अपभ्रंश) के रूप में मनाते हैं। यह चैत्र महीने का पहला दिन होता है। तमिल नव वर्ष विशु 13 या 14 अप्रैल को तमिलनाडु और केरल में मनाया जाता है। तमिलनाडु में पोंगल 15 जनवरी को नव वर्ष के रुप में आधिकारिक तौर पर भी मनाया जाता है। कश्मीरी कैलेण्डर नवरेह 19 मार्च को आरम्भ होता है। महाराष्ट्र में गुडी पड़वा के रुप में मार्च-अप्रैल के महीने में मनाया जाता है, कन्नड़ नव वर्ष उगाडी कर्नाटक के लोग चैत्र माह के पहले दिन को मनाते हैं, सिंधी उत्सव चेटी चंड, उगाड़ी और गुडी पड़वा एक ही दिन मनाया जाता है। मदुरै में चित्रैय महीने में चित्रैय तिरुविजा नव वर्ष के रुप में मनाया जाता है। मारवाड़ी और गुजराती नव वर्ष दीपावली के दिन होता है, जो अक्टूबर या नवंबर में आती है। बंगाली नव वर्ष पोहेला बैसाखी 14 या 15 अप्रैल को आता है। पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में इसी दिन नव वर्ष होता है। 

आप सभी को भारतीय नववर्ष विक्रमी सम्वत 2071 और चैत्री नवरात्रारंभ पर हार्दिक शुभकामनायें। आप सभी के लिए यह नववर्ष अत्यन्त सुखद हो, शुभ हो, मंगलकारी व कल्याणकारी हो, नित नूतन उँचाइयों की ओर ले जाने वाला हो !!

शुक्रवार, 28 मार्च 2014

एक नागरिक का घोषणा पत्र

चुनाव का माहौल है।  हर राजनैतिक दल अपना घोषणा पत्र जारी कर रहा है।  यह अलग बात है कि ये घोषणा पत्र कभी भी पूरे नहीं होते। इनमें कुछ अच्छी बातें होती हैं, कुछ सब्जबाग और कुछेक सपने मात्र। पर लोकतंत्र की यही खूबी है, जनता इन्हीं पैमानों के आधार पर लोगों को चुनती है और वक़्त के साथ बदल भी देती है। 

यदि मुझे अपना घोषणा पत्र जारी करना हो तो, निम्न बिंदुओं पर जोर दूँगी और आशा करुँगी कि सभी सम्बंधित राजनैतिक दल और उम्मीदवार अपने को इस कसौटी पर खरा उतरने का प्रयास करेंगे-

1- सभी के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा की गारंटी।
2-भ्रष्टाचार और लाल फीताशाही के उन्मूलन हेतु शासन-प्रशासन में पारदर्शिता,  सशक्त लोकपाल, प्रभावी सिटिज़न चार्टर और आईटी के अनुप्रयोग द्वारा जन सेवाओं को लोगों के द्वार तक पहुँचाना।
3-महंगाई, बेरोजगारी पर रोकथाम। 
4-नारी सुरक्षा और सशक्तीकरण। विधायिका में महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण।
5-बाल श्रम का उन्मूलन और हर बच्चे को शिक्षा। 
6-कानून-व्यवस्था पर प्रभावी नियंत्रण कर अपराधमुक्त समाज की स्थापना।
7-देश की भाषाओँ, बोलियों, साहित्य, कला, संस्कृति, विरासत और धरोहरों का संरक्षण। 
8- साम्प्रदायिकता की आड़ में देश की बहुल सांस्कृतिक एकता को छिन्न-भिन्न करने पर रोकथाम और सामाजिक  सद्भाव में अभिवृध्दि। 
आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक विकास पर भी जोर।  
9- समाज के वंचित वर्गों को विशेष अवसर द्वारा देश के विकास में सहभागी बनाना।
10- सभी देशों के साथ समानता के स्तर पर कूटनीतिक सम्बन्ध स्थापना।

आकांक्षा यादव, 
(लेखिका और न्यू मीडिया एक्टिविस्ट)

सोमवार, 24 मार्च 2014

बिटिया अक्षिता (पाखी) का जन्मदिन


25 मार्च को हमारी प्यारी बिटिया अक्षिता (पाखी) का हैप्पी बर्थ-डे है। अक्षिता अपने हैप्पी बर्थ-डे को लेकर काफी उत्साहित हैं और रोज नए-नए प्लान बनाती हैं, आखिर अब इत्ती बड़ी जो हो गई हैं। सो, बर्थ-डे के दिन फुल मस्ती। 

हमारी तरफ से पाखी को जन्मदिन पर ढेर सारा प्यार, शुभकामनाएँ और आशीर्वाद।

 …अब आपका भी तो स्नेह और आशीष इन्हें चाहिए !!



रविवार, 16 मार्च 2014

रंग-बिरंगी होली आई


रंग-बिरंगी होली आई !
खुशियों का खजाना लाई !!
*** होली पर्व की ढेरों शुभकामनायें. सभी द्वेष भूलकर आज के दिन हम सभी एक हों ***


ये गुझिया आप सबके लिए। 

होली जरुर खेलिए, पर यह सोचकर कि आने वाली पीढ़ियाँ भी होली खेल सकें। पानी भरे रंग की बजाय सूखी और ईको-फ्रेण्डली होली खेलने में ज्यादा आनंद है, पानी बचाने के बारे में भी सोचें !! 


चलते-चलते :
बनारस की होली और बनारस से नरेन्द्र मोदी का चुनाव लड़ना, दोनों चर्चा में है। वैसे भी इस बार की होली में चुनावी भांग मिली हुई है, इसलिए थोड़ा संभलकर। 


होली आप सभी के जीवन में उमंग और उल्लास लेकर आए !
होली के पर्व पर आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएँ !!


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शनिवार, 15 मार्च 2014

होली के रंग कुछ कहते हैं

रंग हमारे जीवन में बड़े महत्वपूर्ण हैं। ये हमारे स्वास्थ्य और मूड को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। हमारे आसपास यूं तो कई रंग हैं, पर ये चाहे-अनचाहे हम पर अपना असर डालते ही हैं। दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने इस मामले पर कई शोध किए हैं और पाया है कि रंग इतने प्रभावशाली हैं कि बीमारियों की रोकथाम तक में सहायक हैं। तभी तो कलर थेरेपी आज इतनी कारगर सिद्ध हो रही है। तो आप भी अपने जीवन को इन रंगों को भर लीजिए और उठाइए इन रंगों का लाभ:

प्लेट में सजे नए रंग
लाल रंग के फल-सब्जियों में यह रंग लाइकोपीन नाम के पोषक तत्व के कारण आता है। यह कैंसर की रोकथाम में सबसे अधिक कारगर है। इसके लिए सेब, स्ट्राबेरी, लाल मिर्च, बेरी, टमाटर, तरबूज आदि का सेवन करें। संतरी या पीले रंग वाली फल-सब्जियां बेटा-केरोटीन से युक्त होती हैं। यह आंखों और त्वचा के लिए अच्छे माने जाते हैं। गाजर, आम, शकरकंद, कद्दू, पपीता, पाइनएपल, पीच आदि को भी अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं। हरे रंग के फल-सब्जियों में एंटीऑक्सिडेंट्स और फोटोकेमिकल्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो कैंसर की रोकथाम में सहायक हैं। इसके लिए ब्रोकली, पालक, बंदगोभी, शिमला मिर्च, बीन्स आदि का सेवन करें।

वार्डरोब भी रंगो भरा हो
पश्चिम में लाल रंग को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसे सेक्सुअल कलर माना जाता है। लेकिन हमारे देश में यह रंग मां दुर्गा का रंग है। उन्हें हमेशा लाल रंग की साड़ी में ही दिखाया जाता है। यह पवित्रता का सूचक है। इसे विवाह के लिए उपयुक्त माना जाता है। लाल रंग का सिंदूर भी तो पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते का सूचक होता है। लिपस्टिक, नेल पॉलिश में इसका प्रयोग लोकप्रिय है। इसे पहनने से आप भीड़ से अलग नजर आएंगी।

पीला रंग उल्लास और ऊर्जा का प्रतीक है। पर इस रंग की खासियत है इसका हीलिंग पॉवर। हल्दी जो पीली होती है, उसे हमारे देश में सौंदर्य बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। इससे दिमाग अधिक क्रियाशील रहता है। यह रंग ध्यान आकर्षित करता है। आप पीला रंग न पहनना चाहें तो किसी अन्य रंग के साथ कांबीनेशन में इसे पहन सकती हैं।

नीला रंग तो शक्ति और जीवन का प्रतीक है। चूंकि पानी भी पारदर्शी होता है इसलिए नीले रंग को पारदर्शी रंग माना जाता है। भगवान कृष्ण का यह मनपसंद रंग रहा है और इस साल यह रंग सबसे ज्यादा फैशन में है। तो इस रंग को अपने वॉर्डरोब का हिस्सा बनाने से हिचके नहीं। इस रंग को पहनकर आप स्टाइलिश भी दिखेंगी और खूबसूरत भी।

हरा रंग प्रकृति का रंग है। यह आंखों को सुकून प्रदान करता है। आप गर्मी के मौसम में हरा रंग खूब पहनें।

ये भी आजमा सकती हैं

आप एक्सेसरीज के रूप में भी तरह-तरह के रंगों को अपने वॉर्डरोब का हिस्सा बना सकती हैं। आप एक गाढ़े रंग का बैग लें। ऐसा बैग जो आपकी पर्सनैलिटी से सूट करता हो। इस समय फैशन में नीला, ब्राइट ब्राउन और काला रंग है। गर्मियां आ रही हैं। इसलिए आपका सनग्लास ज्वेल टोन शेड वाला जैसे पर्पल, ब्ल्यूबेरी या  आरेंज रंग में हो सकता है। पैंट्स, लैगिंग्स, स्कर्ट आदि के साथ ब्राइट रंग के सैंडिल्स पहनें। आजकल लांग बूट्स भी फैशन में हैं। रंगों के साथ प्रयोग करने में हिचके नहीं। हिचक टूटेगी और आप फैशनेबल दिखेंगी।

जीवन में ऐसे भरे नए रंग
अगर काम की व्यस्तता के बीच आप दोनों एक-दूसरे को समय नहीं दे पाते, हैं तो एक दिन सारे काम छोड़कर बाहर घूमने जाएं। सिर्फ आप दोनों। क्योंकि आपको एक-दूसरे की पसंद-नापसंद पता है इसलिए सरप्राइज प्लान कर सकती हैं। ज्यादा कुछ नहीं करना चाहती हैं तो फिल्म देखने और साथ शॉपिंग करने से भी बात बन सकती है। एक-दूसरे से जब भी बात करें, तो उसमें शिकवे-शिकायतों को न आने दें। हंसी-मजाक हो, तारीफ हो। अगर कभी कोई बात बुरी लगती है तो उसे हल्के में लें। जीवन को भारी-भरकम बनाकर जीने से क्या फायदा? दिल में कोई बात है तो उसे हल्के माहौल में शेयर करें। रोमांस न खत्म होने दें। प्यार बना रहेगा तो ही रिश्ता खूबसूरत लगेगा। इसलिए रोमांस के लिए समय तो आपको खुद ही निकालना होगा। साथ बैठकर बातें करें। हर मसले पर बात करें। भविष्य की योजनाओं से लेकर आज की कशमकश तक। अगर बातचीत होती रही तो एक-दूसरे को ज्यादा समझेंगी और रिश्ते में दूरियां नहीं आएंगी। नौकरीपेशा हैं तो परिवार के साथ भी इस साल ज्यादा समय बिताएं। बच्चों के साथ घूमने जाएं और उनसे बातें करें। अगर बच्चे बड़े हैं तो आप उनसे अपनी समस्याओं को शेयर कर सकती हैं। इससे बच्चे और आपके बीच का रिश्ता और मजबूत होगा। आपसी विश्वास बढ़ेगा और जिंदगी पहले से कहीं ज्यादा रंगीन हो जाएगी।

रंगों का महत्व
लाल रंग को सभी रंगों में से सबसे अधिक चटक रंग माना जाता है। व्यायाम के समय इस रंग के कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह स्फूर्ति प्रदान करने वाला रंग माना जाता है। लेकिन इस रंग के अत्यधिक प्रयोग के कई खराब परिणाम हो सकते हैं जैसे तनाव या गुस्सा। 

ज्यादातर स्माइली पीले रंग की ही होती हैं। इसका कारण यह है कि पीला रंग हमारे दिमाग में सेरोटोनिन नामक केमिकल बनने के लिए जिम्मेदार है, जिससे हम खुश रहते हैं। कई शोध यह साबित करते रहे हैं कि पीला रंग हमारी एकाग्रता को बढ़ाता है पर इसके अत्यधिक प्रयोग से हमें चक्कर आ सकता है और जहां इसका ज्यादा प्रयोग हुआ हो, वहां लोगों को अधिक गुस्सा आता देखा गया है। यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है।
नीले रंग का प्रयोग रचनात्मकता को बढ़ाता है। यह दिमाग में ऐसे केमिकल रिलीज करने में मददगार है, जिससे हम रिलैक्स होते हैं। यह भोजन का रंग नहीं है, इसलिए कई शोध यह साबित कर चुके हैं कि इस रंग का खाना परोसने पर लोगों को खाने की इच्छा ही नहीं हुई। यानी रचनात्मकता बढ़ाने के लिए इस रंग को अपनाएं।

काला रंग शक्ति और स्वामित्व का प्रतीक है। यह ज्ञान और बुद्धिमता को दर्शाने वाला है। यह फैशन इंड्रस्टी का प्रमुख रंग है। हालांकि इसे गुस्से वाला रंग माना जाता रहा है।

सफेद रंग को सबसे प्राकृतिक रंग माना जाता है। ज्यादातर बच्चों के उत्पाद इसी रंग में आते हैं। इसे मासूमियत और सफाई का प्रतीक माना जाता है। इस रंग को डॉक्टर प्रयोग करते हैं।

हरे रंग को प्रकृति का रंग माना जाता है। यह तनाव कम करने वाला और राहत देने वाला रंग है। यह हाइजीन और जल्द रिकवरी करने वाला माना जाता है इसलिए अधिकतर अस्पतालों में हरे रंग का प्रयोग दिखता है। आंखों को भी यह रंग सुकून देता है।

शुक्रवार, 14 मार्च 2014

आप करती क्या हैं ??

समाज में यह धारणा है जो घर से बाहर कम करे वह जॉब में और जो घर के अंदर काम करे, उसका कोई मोल नहीं। भारतीय समाज में हर गृहिणी को कहीं-न-कहीं इससे दो-चार होना पड़ता है। तमाम कागजातों में 'हॉउस वाईफ' का आप्शन तो है पर 'मदर' का नहीं। सरकारी कागजातों में जब महिलाएं किसी खांचे में फिट नहीं बैठती तो उन्हें 'हॉउस वाईफ' कॉलम में अंकित कर दिया जाता है।  इसी मसले पर एक महिला ने बड़ा ही खूबसूरत और प्रभावी ई-मेल भेजा था, जिसे आप सबके साथ शेयर कर रही हूँ।  आप भी पढ़िए, सोचिये, गुनिये और फिर कुछ कहिये -

The officer at the Driving License counter asked the lady-"What is your occupation?"

The woman seeking renewal of her license seemed to be puzzled. So the officer said "Ma'am, are you employed, have your own business or...?"  

The woman replied- "Oh, yes! I have a full time occupation. I am a mother."

Officer: "We don't have 'mother' as an option for occupation.

I will write it down as 'Housewife'. That takes care of all questions."

*********************************
This had happened long ago, and was forgotten. Years later when I went to get my license, the Public Relations Officer was a somewhat pompous woman.

 "Your occupation?" she asked in a rather authoritative tone.

I am a Mother, but I just had an inspiration and replied "I am a researcher in the field of Child Development, Nutrition and Inter-personal Relationships"

The lady officer stared at me in amazement. I calmly repeated my statement and she wrote it down verbatim. Then, unable to conceal her curiosity, she politely asked "What exactly do You do in your profession, Ma'am?"

I was feeling good about having described my occupation so calmly and confidently. So I replied "My research projects have been going on for a number of years (Mothers never retire!!). My research is conducted in the laboratory as well as in the field. I have two bosses. (One is God and theother is my entire family). I have received two honours in this field. (A son and a daughter). My topic is consideredto be the most difficult part of sociology. (All moms will agree!!) . I have to work more than 14 hours every day. Sometimes even 24 hours are not enough and the challenges are tougher than many other professions. My compensation is interms of mental satisfaction rather than money."

I could see that the officer was thoroughly impressed. After completing the licensing formalities, she came to the door to see me off.

This new viewpoint about my occupation made me feel much better on my way back home. I was welcomed by my 5 year old research assistant at the door. My new project  (my 6 month old baby) was energetically practicing her 'music'.

I had earned a small victory over the Governmental red tape today. I was no longer 'merely a mother', instead I was now a highly placed functionary in a service vital for mankind -Motherhood !!

'Mother' - Isn't it a great title. Fit to be added to the nameplate on the door!! By this standard, grandmothers deserve to be called Senior Research Officers, and Great Grandmothers qualify as 'Research Directors'. Aunts and other ladies of that age group can be called 'Research Facilitators.'

Please share this with all mothers, grandmothers, great grandmothers and all ladies. They will all shower you with blessings and life will be happier.



शनिवार, 8 मार्च 2014

जब मिशेल ओबामा ने सलाम किया लक्ष्मी के 'तेजाबी' हौसले को

चेहरे में क्या  रखा है, उड़ान तो हौसलों की होती है।  लक्ष्मी जब भी अपना चेहरा देखती हैं तो यही सोचती होंगी। आखिर वो कैसे भूल सकती हैं कि ये चेहरा वो नहीं है, जिसे देखा था 16 बरस तक शीशे में। ये वो चेहरा भी नहीं है, जो एसिड अटैक से जलकर अपनी पहचान खो रहा था। यहां तक कि ये वो चेहरा भी नहीं है, जो छिप जाना चाहता हो अपने आज के साथ। दरअसल, ये वो चेहरा है जिस पर लिखा है अदम्य साहस, अटूट आत्मबल और अद्भुत आत्मविश्वास। लक्ष्मी को 4 मार्च, मंगलवार रात अमेरिका में 'इंटरनेशनल वुमन ऑफ करेज' अवॉर्ड से नवाजा गया। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा ने लक्ष्मी को सम्मानित कर उनकी हिम्मत की तारीफ की। गौरतलब है कि  'इंटरनेशनल वुमन ऑफ करेज अवॉर्ड' दुनियाभर में महिलाओं के अधिकारों, समानता और सामाजिक विकास के लिए लड़ने वाली महिलाओं को दिया जाता है। न जाने कितने अवॉर्ड और अभी राह में हैं, लेकिन सबसे बड़ा इनाम जो उन्होंने खुद को दिया, वो है तेज़ाब से जलने के बाद मिले चेहरे के साथ मुस्कुराते हुए दुनिया के सामने आना। 

लक्ष्मी को 'अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस', 8 मार्च से टेलीविजन पर भी देखा जा सकेगा, एक प्रोग्राम पेश करते हुए। यहां वे उन हौसलों को उड़ान देंगी, जो किसी न किसी वजह से टूट गए या टूटने की कगार पर हैं। अपनी हिम्मत को दूसरों में रोपने की इस कोशिश में लक्ष्मी के साथ खड़े हैं उनके साथी आलोक दीक्षित। दोनों स्टॉप एसिड अटैक के जरिए लड़ रहे हैं एक ऐसी जंग, जिसमें सिर्फ तेजाब नहीं, तेजाबी मानसिकता को मात देनी है। यकीनन, आज लक्ष्मी को देखकर सबसे ज्यादा डरा हुआ होगा वो शख्स जिसने उसके चेहरे को जलाकर उसकी पहचान खत्म करनी चाही थी। 

लक्ष्मी जब 16 साल की थीं, तब दिल्ली में एक व्यक्ति ने उनके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया था। उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तेजाब की बिक्री के लिए सरकार को दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया था। लक्ष्मी 2005 में एसिड अटैक की शिकार हुई थी। लक्ष्मी ने सम्मान समारोह में मिशेल ओबामा को तेजाब पीड़ितों की व्यथा पर लिखी अपनी कविता भी सुनाई। अवॉर्ड लेने के बाद  लक्ष्मी ने कहा कि उन्हें खुशी हुई कि मिशेल ओबामा भी उन्हें और उनके काम को जानती हैं। लक्ष्मी के बारे में अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि 'तेजाब हमले की शिकार महिलाएं दोबारा सामान्य जिंदगी शुरू नहीं कर पातीं। स्कूल, कॉलेज या नौकरी पर जाना छोड़ देती हैं। कुछ तो आत्महत्या कर लेती हैं, लेकिन लक्ष्मी ने ऐसा नहीं किया। उसने दुनिया का सामना किया।' 

इस अवसर पर लक्ष्मी ने जो कविता मिशेल ओबामा को सुनाई-

आपने तेज़ाब मेरे चेहरे पर नहीं, 
मेरे सपनों पर डाला था,
आपके दिल में प्यार नहीं,
तेज़ाब हुआ करता था,
आप मुझे प्यार की नजऱ से नहीं,
तेज़ाब की नजऱ से देखते थे,
मुझे दुख है, इस बात का कि आपका नाम
मेरे तेजाबी चेहरे से जुड़ गया है,
वक्त इस दर्द को कभी मरहम नहीं लगा पाएगा,
हर ऑपरेशन में मुझे तेज़ाब की याद दिलाएगा,
जब आपको यह पता चलेगा की जिस चेहरे को,
आपने तेज़ाब से जलाया, अब मुझे उस चेहरे से प्यार है,
जब आपको यह बात मालूम पड़ेगी,
वो वक्त आपको कितना सताएगा,
जब आपको यह बात मालूम पड़ेगी,
की आज भी मैं जिंदा हूं,
अपने सपनों को साकार कर रही हूं !!


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'नारी-सशक्तिकरण' की प्रतीक 25 महिलाएं लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में


नारी-सशक्तिकरण के आयामों को आगे बढ़ाते हुए लिम्का बुक ऑफ रिकॉड्र्स  ने अपने  25वें संस्करण की थीम 'महिला सशक्तिकरण' रखी  है। विश्व महिला दिवस से दो दिन पहले राजधानी दिल्ली में आयोजित एक समारोह में इस रिकॉर्ड बुक का अनावरण किया गया। अनावरण दिल्ली हाईकोर्ट की पहली चीफ जस्टिस लीला सेठ ने किया। 25 वर्ष पूरे करने के उपलक्ष्य में रिकॉर्ड बुक में विविध क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियां हासिल करने वाली 25 महिलाओं को 'पीपुल ऑफ द ईयर' चुना गया है। 

इसमें जिन 25 महिलाओं को चुना गया है, उनमें अभिनेत्री वहीदा रहमान, ओलंपियन बॉक्सर मैरी कॉम, स्टेट बैंक की पहली महिला चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य, शास्त्रीय गायिका किशोरी अमोनकर, एथलीट दीपा मलिक, पहली एयरबस कमांडर कैप्टन इंद्राणी सिंह, प्रख्यात प्रिंट व टेलीविजन जर्नलिस्ट मृणाल पांडे, प्रथम महिला एयरमार्शल पद्मा बंदोपाध्याय, टेलीविजन न्यूज एंकर रिनी खन्ना, टीवी संपादक सुहासिनी हैदर, लेखिका महाश्वेता देवी, कलाकार अर्पणा कौर, चिकित्सक डॉ. फिरुजा पारीख, साइंटिस्ट विजया कुमारी नरुकुल्ला, समाजसेवी अरुणा राय, प्लानिंग कमीशन की सदस्य सैयदा हामिद, डिजाइनर लैला तैयबजी, एक्शन फॉर ऑटिज्म की निदेशक मेरी बरुआ, एनिमल एक्टिविस्ट गीता शेषमणि, सामाजिक कार्यकर्ता इला भट्ट, आकांक्षा फाउंडेशन की संस्थापक शाहीन मिस्री, नाज फाउंडेशन की अंजलि गोपालन और निर्भया के नाम शामिल हैं।

लीला सेठ ने इस मौके पर दिग्गज महिलाओं को सम्मानित किया। उन्होंने एक जापानी कहावत का उदाहरण देते हुए कहा कि 'यदि पुरुष कुछ कर सकते हैं तो महिलाएं उनसे बेहतर कर सकती हैं।' कोका कोला के अध्यक्ष वेंकटेश किनी ने कहा कि लिम्का बुक में साधारण भारतीयों की असाधारण उपलब्धियों को प्रकाशित करने के सिलसिले में इस बार 10 हजार प्रेरणादायक कारनामे शामिल किए गए हैं, इनमें से 6 हजार नए रिकॉर्ड और 20 नए अध्याय हैं। 



शनिवार, 1 मार्च 2014

29 फरवरी को जन्मदिन : उस तारीख़ का इंतज़ार


मेरे पापा का जन्मदिन 29 फरवरी को पड़ता है। हमें इस दिन के लिए चार साल का लम्बा इंतज़ार  करना पड़ता है, क्योंकि  29 फरवरी हर चाल साल में एक बार आती  है और अब ये वर्ष 2016 में आएगा। पापा हर साल हम  सबको जन्मदिन की शुभकामनाएं और आशीर्वाद देते हैं, फिर हमें उन्हें बधाई देने के लिए चार साल का लम्बा इंतज़ार क्यों करें ? सो, 28 फरवरी के बाद अगले दिन हम उनका हैप्पी बर्थडे सेलिब्रेट करते हैं, सो आज उनका जन्मदिन है और इस जन्मदिन पर हम यही चाहेंगे कि पापा जी को जीवन की सारी खुशियां मिलें, वे स्वस्थ, सुखी, समृद्ध  व दीर्घायु जीवन जियें और हम लोगों को अपना प्यार, स्नेह और आशीर्वाद यूँ ही देते रहें !!


एक परिचय : स्वभाव से सहज, सौम्य एवं विनम्र श्री राजेन्द्र प्रसाद जी समाज सेवा के साथ-साथ सैदपुर में नगर पंचायत अध्यक्ष, जिला भाजपा अध्यक्ष, गाजीपुर एवं भाजपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य रहे, तो उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सावित्री देवी जी ने भी नगर पंचायत अध्यक्ष, सैदपुर के पद को सुशोभित किया। दोनों जन वर्तमान में समाज सेवा में रत् हैं। 

भरे-पूरे परिवार में आपको तीन पुत्र-रत्न और दो पुत्री-मणियाँ प्राप्त हुईं। आप इन सबकी शिक्षा  के प्रति शुरू से ही सचेत रहे। आपके श्वसुर प्रो0 टुँअर प्रसाद जी अपने जमाने में इतिहास विषय के गोल्ड मेडलिस्ट थे। शिब्ली स्नाकोत्तर महाविद्यालय, आजमगढ़ में इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष रूप में उन्होंने  60-70 के दशक में काफी ख्याति अर्जित की। 

 आपके बड़े पुत्र पीयूष कुमार  आई0आई0टी0 रुड़की से शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात श्री लंका में एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में  महाप्रबन्धक, मंझले पुत्र  समीर सौरभ  लखनऊ विश्वविद्यालय से एल0एल0बी0 करने के बाद उ0प्र0 में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एवं छोटे पुत्र अश्विनी कुमार आई0आई0टी0 कानपुर से शिक्षा प्राप्त करने के बाद गुजरात कैडर के 1997 बैच के आई0ए0एस0 अधिकारी के रुप में कार्यरत हैं। 

 बड़ी बेटी आकांक्षा कॉलेज में प्रवक्ता के बाद साहित्य, लेखन और ब्लाॅगिंग के क्षेत्र में प्रवृत्त हैं।  देश-विदेश की शताधिक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं और इंटरनेट पर विभिन्न वेब पत्रिकाओं में नारी विमर्श, बाल विमर्श और सामाजिक मुद्दों से सम्बंधित विषयों पर प्रमुखता से लेखन करने वाली आकांक्षा की अब तक 2 कृतियाँ प्रकाशित- चाँद पर पानी (बाल-गीत संग्रह-2012) एवं ' क्रांति -यज्ञ : 1857-1947 की गाथा' (संपादित, 2007) हैं । उ.प्र. के मुख्यमंत्री द्वारा न्यू मीडिया ब्लाॅगिंग हेतु ’’अवध सम्मान’’, परिकल्पना समूह द्वारा ’’दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लाॅगर दम्पति’’ सम्मान, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाॅक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘डाॅ. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘ व ‘‘वीरांगना सावित्रीबाई फुले फेलोशिप सम्मान‘, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ’भारती ज्योति’, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, ‘‘एस.एम.एस.‘‘ कविता पर प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा पुरस्कार सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु दर्जनाधिक सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हैं। 

आकांक्षा यादव के जीवन साथी कृष्ण कुमार यादव भारतीय डाक सेवा (2001) के अधिकारी के साथ-साथ साहित्य, लेखन और ब्लाॅगिंग के क्षेत्र में चर्चित नाम हैं। 

छोटी बेटी प्रेरणा  संस्कृत जैसे क्लिष्ट विषय में परास्नातक की उपाधि प्राप्त हैं। उनकी शादी भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी विश्वजीत सिंह से हुई है।