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शनिवार, 29 जून 2013

एक महिला के दिमाग से वैज्ञानिकों ने तैयार किया दिमाग का थ्रीडी मैप


वैज्ञानिकों ने पहली बार इंसानी दिमाग का एक थ्रीडी खाका तैयार किया है। इससे वैज्ञानिकों को भावनाओं के बनने और बीमारियों के वजहों का अधिक गहराई से अध्ययन करने में मदद मिलेगी। बीबीसी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, 'बिग ब्रेन' प्रोजेक्ट के तहत तैयार किये गये इस थ्रीडी खाके के लिये 65 वर्षीय एक महिला के दिमाग का इस्तेमाल किया गया। वैज्ञानिकों ने इस दिमाग को 20 माइक्रोमीटर की मोटाई वाली 7,400 परतों में बांटा है। इस तरह से वे दिमाग की कोशिकीय संरचना के स्तर तक पहुंच गए।

इस शोध में शामिल रहे मोंट्रियल न्यूरोलॉजिकल इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर एलन इवांस ने कहा, आखिरकार विज्ञान ने दिमाग को समझ लिया। इस शोध से दिमाग की आतंरिक संरचना को समझने की दिशा में क्रांति आ जाएगी। उन्होंने यह भी कहा, 'अब तक शोधकर्ता जिस पैमाने पर दिमाग का अध्ययन करते थे, अब उससे 50 गुना अधिक गहराई से उसे पढ़ सकेंगे।'

दिमाग के इस थ्रीडी खाके से ‌दुनियाभर के शोधकर्ताओं को बेहद बारीकी से दिमाग पर शोध करने में मदद मिलेगी। इससे उन्हें भावनाओं के बनने, पहचान क्षमता के विकसित होने तथा बीमारियों के पनपने के कारणों का पता लगाने में मदद मिलेगी। इस शोध को साइंस पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

रविवार, 16 जून 2013

पितृ-सत्तात्मक समाज में फादर्स डे



आज फादर्स डे है. माँ और पिता ये दोनों ही रिश्ते समाज में सर्वोपरि हैं. इन रिश्तों का कोई मोल नहीं है. पिता द्वारा अपने बच्चों के प्रति प्रेम का इज़हार कई तरीकों से किया जाता है, पर बेटों-बेटियों द्वारा पिता के प्रति इज़हार का यह दिवस अनूठा है. भारतीय परिप्रेक्ष्य में कहा जा सकता है कि स्त्री-शक्ति का एहसास करने हेतु तमाम त्यौहार और दिन आरंभ हुए पर पितृ-सत्तात्मक समाज में फादर्स डे की कल्पना अजीब जरुर लगती है.पाश्चात्य देशों में जहाँ माता-पिता को ओल्ड एज हाउस में शिफ्ट कर देने की परंपरा है, वहाँ पर फादर्स-डे का औचित्य समझ में आता है. पर भारत में कही इसकी आड़ में लोग अपने दायित्वों से छुटकारा तो नहीं चाहते हैं. इस पर भी विचार करने की जरुरत है. जरुरत फादर्स-डे की अच्छी बातों को अपनाने की है, न कि पाश्चात्य परिप्रेक्ष्य में उसे अपनाने की जरुरत है.

माना जाता है कि फादर्स डे सर्वप्रथम 19 जून 1910 को वाशिंगटन में मनाया गया। अर्थात इस साल 2013 में फादर्स-डे के 103 साल पूरे हो गए. इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है- सोनेरा डोड की। सोनेरा डोड जब नन्हीं सी थी, तभी उनकी माँ का देहांत हो गया। पिता विलियम स्मार्ट ने सोनेरो के जीवन में माँ की कमी नहीं महसूस होने दी और उसे माँ का भी प्यार दिया। एक दिन यूँ ही सोनेरा के दिल में ख्याल आया कि आखिर एक दिन पिता के नाम क्यों नहीं हो सकता? ....इस तरह 19 जून 1910 को पहली बार फादर्स डे मनाया गया। 1924 में अमेरिकी राष्ट्रपति कैल्विन कोली ने फादर्स डे पर अपनी सहमति दी। फिर 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जानसन ने जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाने की आधिकारिक घोषणा की।1972 में अमेरिका में फादर्स डे पर स्थायी अवकाश घोषित हुआ। फ़िलहाल पूरे विश्व में जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है.भारत में भी धीरे-धीरे इसका प्रचार-प्रसार बढ़ता जा रहा है. इसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढती भूमंडलीकरण की अवधारणा के परिप्रेक्ष्य में भी देखा जा सकता है और पिता के प्रति प्रेम के इज़हार के परिप्रेक्ष्य में भी.

शनिवार, 15 जून 2013

सोच में बदलाव : पाकिस्तान में अब महिला उड़ाएंगी लड़ाकू विमान

वक़्त के साथ बहुत से पैमाने बदल जाते हैं। जिन रुढियों को समाज ढो रहा होता है, वह दरकती नजर आती हैं। अब महिलाएं लड़ाकू विमान भी उड़ाने को तैयार हैं। फ़िलहाल भारत में न सही पडोसी देश पाकिस्तान में ही सही। पाकिस्तान की आयशा फारुख ने भारतीय वायुसेना को पीछे छोड़ दिया है. पुरुषवादी पाकिस्तान की वायुसेना में 26 साल की आयशा फारुख तमाम रूढि़यों को तोड़कर युद्ध के मोर्चे पर जाने के लिए तैयार हैं। वह लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पाकिस्तान की पहली महिला लड़ाकू विमान चालक (फाइटर पायलट) बन गई हैं।
आयशा फारुख पिछले एक दशक में पाकिस्तानी वायुसेना में पायलट बनने वाली 19 महिलाओं में से एक हैं। आयशा के अलावा पाकिस्तानी वायुसेना में पांच और लड़ाकू महिला विमान चालक हैं, लेकिन उन्हें युद्ध के मोर्चे पर जाने के लिए अंतिम परीक्षा को पास करना है। हालांकि आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर रहे पड़ोसी देश भारत में अभी तक कोई महिला फाइटर पायलट नहीं है।
पंजाब के ऐतिहासिक शहर बहावलपुर की मृदुभाषी 26 वर्षीय आयशा कहती हैं कि मुझे नहीं लगता कि महिला या पुरुष होने से एक फाइटर पायलट के काम में कोई फर्क पड़ता है। हाल में पाकिस्तानी लड़कियों के बड़े पैमाने पर सेना में आने के सवाल पर वह कहती हैं कि आतंकवाद और हमारी भौगोलिक स्थितियां के कारण सभी को मुस्तैद रहना जरूरी है।
चीन निर्मित एफ 7पीजी विमान उड़ाने वाली आयशा बताती हैं कि आज से सात साल पहले जब उन्होंने अपनी विधवा मां को एयरफोर्स में जाने की इच्छा बताई थी, तो उन्होंने उन्हें मूर्ख समझा था। कारण हमारे समाज में लड़कियां विमान उड़ाने के बारे में सोचती तक नहीं हैं। पाकिस्तानी वायुसेना में फिलहाल 316 महिलाएं हैं। जबकि पांच साल पहले इनकी संख्या महज सौ थी। वहीं पाकिस्तानी सेना में करीब चार हजार महिलाएं हैं जिनमें ज्यादातर चिकित्सा या कार्यालय संबंधी कार्य कर रही हैं। स्क्वाड्रन 20 की विंग कमांडर नसीम अब्बास ने कहा कि अब समाज की सोच में बदलाव आया है। लड़कियां सेना में शामिल होने के बारे में सोचने लगी हैं। 25 पायलटों वाली इस स्क्वाड्रन में आयशा भी शामिल हैं।
आयशा फारुख ने गुरुवार को राजधानी इस्लामाबाद से लगभग 300 किलोमीटर दूर पंजाब के सरगोधा एयरबेस में फाइटर जेट को उड़ाया. चीन में बने हुये एफ-7पीजी फाइटर जेट को आयशआ ने जब उड़ाया तो उनके चेहरे पर गर्व के भाव थे.
यहां यह गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना ने किसी भी महिला को आज तक फाइटर जेट उड़ाने की अनुमति नहीं दी है. अलका शुक्ला और एम पी सुमंती भारतीय सेना की दो ऐसी महिला पायलट हैं, जिन्हें एमआई-8 जैसे मालवाहक हेलिकॉप्टर उड़ाने का गौरव प्राप्त है. लेकिन अब तक इन्हें फाइटर जेट उड़ाने का प्रशिक्षण नहीं दिया गया है.की   देर-सबेर अपने देश भारत में भी ऐसा होगा।